Mujhey chahiye koi
Bilkul merey hi jaisa,
Kisi behtar sey meri
Banti hi nahi hai
मुझे चाहिए कोई
बिल्कुल मेरे ही जैसा
किसी बेहतर से मेरी
बनती ही नहीं है
Gazal
काम सब गैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं गज़ब करते हैं
आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अज़्मत
हम चरागों का भी उतना ही अदब करते हैं
हम पे हाकिम का कोई हुक्म नहीं चलता है
हम क़लंदर हैं शहंशाह लक़ब करते हैं
देखिए जिस को उसे धुन है मसीहाई की
आज कल शहर के बीमार मतब करते हैं
खुद को पत्थर सा बना रक्खा है कुछ लोगों ने
बोल सकते हैं मगर बात ही कब करते हैं
एक इक पल को किताबों की तरह पढने लगे
उम्र भर जो न किया हम ने वो अब करते हैं